अलंकार सामान्य MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for अलंकार सामान्य - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்

Last updated on Apr 14, 2025

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Latest अलंकार सामान्य MCQ Objective Questions

Top अलंकार सामान्य MCQ Objective Questions

अलंकार सामान्य Question 1:

भ्रांतिमान अलंकार

का उदाहरण निम्न में से कौन-सा है?

  1. सीतल चंदन चंदहू, लगे जरावन गात
  2. सोहत ओढत पीत पट, स्याम सलोने गात
  3. नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाडिम का समझकर भ्रांति से
  4. उदित उदयगिरी मंच पर, रघुबर बाल पतंग

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाडिम का समझकर भ्रांति से

अलंकार सामान्य Question 1 Detailed Solution

भ्रांतिमान अलंकार अर्थात जब किसी वस्तु में किसी अन्य वस्तु होने का भ्रम हो जाये तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है। यहाँ नाक के मोती का बीज दाडिम होने का भ्रम हो रहा है, अत: यह भ्रंतिमान अलंकार का उदाहरण है। अत: सही विकल्प नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाडिम का समझकर भ्रांति से है।

अलंकार- काव्य की चमक को बढ़ाने के लिए प्रयोग किए गए, चमत्कारिक प्रयोग अलंकार कहलाते है।

अन्य अलंकार- 

अलंकार 

परिभाषा 

उदाहरण 

श्लेष 

एक वर्ण ,दो अर्थ 

कनक = धतुरा, सोना 

रूपक

उपमेय और उपमान को अभेद रूप में बताना। 

अम्बर-पनघट, रात-दिन, चन्द्र खिलौना 

उपमा

किसी से किसी की तुलना। 

राम का चाँद सा मुखड़ा। 

अलंकार सामान्य Question 2:

निम्नलिखित विकल्पों में सन्देह अलंकार का उदाहरण कौन-सा विकल्प है?

  1. मानो घर-घर ना हो, कोई चिड़ियाघर हो
  2. एक रम्य उपवन था, नन्दन वन सा सुन्दर
  3. यह काया है या शेष उसी की छाया
  4. रति सम रमणीय मूर्ति राधा की

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : यह काया है या शेष उसी की छाया

अलंकार सामान्य Question 2 Detailed Solution

'यह काया है या शेष उसी की छाया' में 'संदेह अलंकार' है. अत: सही उत्तर विकल्प 3 'यह काया है या शेष उसी की छाया' होगा. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं. 

 

  • संदेह अलंकार-  रूप-रंग, आदि के साद्रश्य से जहां उपमेय में उपमान का संशय बना रहे या उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में संशय रहे, वहाँ सन्देह अलंकार होता है।

​अन्य विकल्प 

  • मानो घर-घर ना हो, कोई चिड़ियाघर हो - उत्प्रेक्षा अलंकार
  • एक रम्य उपवन था, नन्दन वन सा सुन्दर - उपमा अलंकार 
  • रति सम रमणीय मूर्ति राधा की - उपमा अलंकार 

अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।

अलंकार सामान्य Question 3:

"संत हृदय नवनीत समाना, कहा कविन पै कहन न जाना" उदाहरण है -

  1. अतिश्योक्ति अलंकार का
  2. विभावना अलंकार का
  3. व्यक्तिरेक अलंकार का
  4. विरोधाभास अलंकार का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : व्यक्तिरेक अलंकार का

अलंकार सामान्य Question 3 Detailed Solution

'संत हृदय नवनीत समाना, कहा कविन पै कहन न जाना' पंक्तियों में व्यक्तिरेक अलंकार है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 'व्यक्तिरेक अलंकार का' है।

Key Points

  • संत हृदय नवनीत समाना, कहा कविन पै कहन न जाना - यहाँ कहा गया है कि संतों का हृदय मक्खन के समान होता है, ऐसा कवियों ने कहा है। परंतु उन्होंने असली बात कहना नहीं जाना क्योंकि मक्खन तो अपने को ताप मिलने से पिघलता है जबकि परम पवित्र संत दूसरों के दुःख से पिघल जाते हैं। अतः यहाँ पर व्यतिरेक अलंकार है।
  • जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। 
  • व्यतिरेक का शाब्दिक अर्थ होता है आधिक्य।
  • अत: जहाँ उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का उत्कर्ष हो वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है।

अन्य विकल्प - ​​

अलंकार

परिचय

अतिश्योक्ति अलंकार का

जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

विभावना अलंकार का

बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है। 

विरोधाभास अलंकार का

विरोधाभास दो शब्दों से मिलकर बना है –  विरोध + आभास ।
जहां वाक्य में विरोध का आभास प्रकट होता है परंतु विरोध नहीं होता है वहां विरोधाभास अलंकार होता है।

 

Additional Information

अलंकार

अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।

जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार

काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार

 

 

अलंकार सामान्य Question 4:

गोपी पद - पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे में कौन सा अलंकार है - 

  1. अनुप्रास
  2. यमक
  3. रूपक
  4. 1 और 3 दोनों

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : 1 और 3 दोनों

अलंकार सामान्य Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है - 1 और 3 दोनों

 Key Points

  • 'गोपी पद-पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे।' में रूपक अलंकार है।
  • जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। जैसे- चरण-कमल बंदौ हरि राई!
  • "पद-पंकज पावन" में "प" वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार है। 

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अनुप्रास

जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो वह अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणे,

खेल रही थी जल थल में

अलंकार सामान्य Question 5:

अनुप्रास, यमक, श्लेष किस प्रकार के अलंकार हैं? 

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार
  4. छंद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : शब्दालंकार

अलंकार सामान्य Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर शब्दालंकार है। 

Key Points

  • अनुप्रास, यमक, श्लेष- शब्दालंकार के भेद हैं। 
  • अलंकार के तीन भेद हैं- 

अलंकार

परिभाषा

प्रकार

शब्दालंकार

जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से फिर उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। 

अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति, विप्सा, वक्रोक्ति

अर्थालंकार

काव्य में जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है।

उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, विरोधाभास,  अपह्नुति, भ्रांतिमान, संदेह,  व्याजस्तुति,  व्याजनिंदा,  विशेषोक्ति,  विभावना, मानवीकरण,  व्यतिरेक, दृष्टान्त,

उभयालंकार

जहाँ काव्य में ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार हो वहाँ उभयालंकार होता है।

संसृष्टि, संकर

Additional Information

छंद​ परिभाषा

छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है। वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं'।

अलंकार सामान्य Question 6:

फूल हँसे कलियाँ मुसकाई’ - काव्य में कौन सा अलंकार है।

  1. अनुप्रास अलंकार 
  2. उत्प्रेक्षा अलंकार 
  3. मानवीकरण अलंकार 
  4. रूपक अलंकार 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मानवीकरण अलंकार 

अलंकार सामान्य Question 6 Detailed Solution

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 3  ‘मानवीकरण अलंकार इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं। 

Key Points

  • फूल हँसे कलियाँ मुसकाई’ काव्य पंक्तियों में मानवीकरण अलंकार है।
  •  जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में फूल हंस रहे हैं एवं कलियाँ मुस्कुरा रही हैं। हंसने एवं  मुस्कुराने की क्रियाएं केवल मनुष्य ही कर सकते हैं प्राकृतिक चीज़ें नहीं। ये असलियत में संभव नहीं है  एवं हम यह भी जानते हैं कि जब सजीव भावनाओं का वर्णन चीज़ों में किया जाता है तब यह मानवीकरण अलंकार होता है।
  •  अतः यह उदाहरण मानवीकरण अलंकार के अंतर्गत आएगा।
  • मानवीकरण अलंकार की परिभाषा - जब प्राकृतिक वस्तुओं कैसे पेड़,पौधे बादल आदि में मानवीय भावनाओं का वर्णन हो यानी निर्जीव चीज़ों में सजीव होना दर्शाया जाए तब वहां मानवीकरण अलंकार आता है।

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अनुप्रास

जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें,

खेल रही थी जल थल में

उत्प्रेक्षा

उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।

मनहु नीलमणि सैल  पर, आवत परयो प्रभात।

रूपक

जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।

चरण-कमल बंदौ हरि राई!

अलंकार सामान्य Question 7:

दिए गए विकल्पों में से भ्रान्तिमान अलंकार का उदाहरण कौन-सा है?

  1. ओस-बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान
  2. हरिमुख मानोमधुर मयंक
  3. तारे आसमान के है आये मेहमान बनि
  4. सखि! मयंक तव मुख सम सुंदर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : ओस-बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान

अलंकार सामान्य Question 7 Detailed Solution

प्रस्तुत पंक्तियों में विकल्प -1ओस-बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान सही विकल्प हैl

Key Points

  • जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय में उपमान का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।

  • प्रस्तुत पंक्ति में हंसनी ओस की बूंदों को मोती समझने के कारण यहाँ भ्रम उत्पन्न हुआ, अतः यहाँ भ्रान्तिमान अलंकार हैl ओस की बूँदें उपमेय हैं और मोती उपमान हैं, अर्थात वह ओस की बूंदों को मोती जान कर चुग रही है l 

अन्य विकल्प :

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उपमा 

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

 

सखि! मयंक तव मुख सम सुंदर 

उत्प्रेक्षा 

उपमेय में उपमान के होने की कल्पना की जा रही है। अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

‘हरिमुख मानोमधुर मयंक 

संदेह 

रूप-रंग, आदि के साद्रश्य से जहां उपमेय में उपमान का संशय बना रहे या उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में संशय रहे, वहाँ सन्देह अलंकार होता हैl

तारे आसमान के है आये मेहमान बनिl

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

भ्रांतिमान अलंकार

 

जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय में उपमान का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।

नाक का मोती अधर की कान्ति से, बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से।

अलंकार सामान्य Question 8:

"लो यह लतिका भी भर लाई,

मधु मुकुल नवल रस गागरी।"

उदाहरण है-

  1. मानवीकरण अलंकार का
  2. उल्लेख अलंकार का
  3. प्रतीप अलंकार का
  4. भ्रांतिमान अलंकार का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : मानवीकरण अलंकार का

अलंकार सामान्य Question 8 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'मानवीकरण अलंकार का' है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।

 Key Points

  • लो यह लतिका भी भर लाई, मधु मुकुल नवल रस गागरी।" इस काव्य पंक्ति में लता को उषा के ही समान स्त्री रूप में प्रस्तुत किया गया है, अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

  • जहां जड़ता पर चेतनता का आरोप हो अर्थात जड़ प्राकृतिक उपादानों पर मानवीय क्रियाओं और भावनाओं का आरोप होता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
  • अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। 

अन्य विकल्प: ​

  • उल्लेख अलंकार - जब एक ही वस्तु का एक ही व्यक्ति द्वारा अनेक प्रकार से वर्णन किया जाता है, तब वहाँ 'द्वितीय उल्लेख अलंकार' होता है।
  • प्रतीप अलंकार - 'प्रतीप' का अर्थ होता है- 'उल्टा' या 'विपरीत'। यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है। क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।
  • भ्रांतिमान अलंकार - जब एक जैसे दिखाई देने के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है या समानता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम होता है तब इसे भ्रांतिमान अलंकार कहते हैं।

Additional Information

  • वह कारक जो काव्य की शोभा बढ़ाते हैं अलंकार कहलाते हैं।
  • काव्य का निर्माण शब्द और अर्थ द्वारा होता है।
  • इसलिए अलंकार के दो मुख्य भेद माने गए हैं - शब्दालंकार और अर्थालंकार। 

अलंकार सामान्य Question 9:

तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ,

तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ। - इसमें किस अलंकार का इस्तेमाल किया गया है?

  1. वृत्यानुप्रास
  2. इनमें से कोई नहीं
  3. लाटानुप्रास
  4. छेकानुप्रास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : लाटानुप्रास

अलंकार सामान्य Question 9 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 "लाटानुप्रास" है।

Key Points

  •  प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है क्योंकि इसमें शब्दों की आवृत्ति हुई है । शब्दों की आवृत्ति के कारण इसमें चमत्कार उत्पन्न हो रहा है।
  • जब काव्य में किसी शब्द या वाक्य का दुहराव होता है तब वहाँ लाटानुप्रास होता है। इस पंक्ति में तेग बहादुर और गुरु पंक्तिवी की आवृत्ति हुई है इसलिए इसमें लाटानुप्रास है।
  • अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

Additional Information

  • अलंकार

    परिभाषा

    उदाहरण

    श्रुत्यानुप्रास

    जब किसी पद में एक ही उच्चारण स्थान वाले वर्णों की बार-बार आवृत्ति होती है तो वहाँ श्रुत्यनुप्रास अलंकार माना जाता है।

    तुलसीदास सीदत निस दिन देखत तुम्हारी निठुराई।।

    वृत्यानुप्रास

    जब किसी पद में एक या अनेक वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति (दो से अधिक बार प्रयोग) होती है तो वहाँ वृत्यनुप्रास अलंकार माना जाता है।

    रघुनंद आनंद कंद कौसल चंद दशरथ नंदनम्।

    लाटानुप्रास

    जब किसी पद में शब्द और अर्थ तो एक ही रहते हैं परन्तु अन्य पद के साथ अन्वय करते ही तात्पर्य या अभिप्राय भिन्न रूप में प्रकट होता है, वहाँ लाटानुप्रास अलंकार माना जाता है।

    पूत सपूत तो क्यों धन संचै।
    पूत कपूत तो क्यों धन संचै।।

अलंकार सामान्य Question 10:

"मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ। जा तन की झाईं परै, स्मायु हरित-दुति होइ।।" उक्त छंद में प्रयुक्त श्लिष्ट पद 'हरित दुति' का इनमें से कौनसा अर्थ नहीं होगा - 

  1. हरे रंग वाला 
  2. दीन-दुखी 
  3. प्रसन्न वदन 
  4. प्रभा-शून्य 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : दीन-दुखी 

अलंकार सामान्य Question 10 Detailed Solution

सही उत्तर 'दीन -दुखी' है।

  • कवि कहना चाह रहा है कि हे राधिका जी आप के प्रभाव से सारे पाप नष्ट हो जाते है, तो मेरे भी सारे कष्टों को दूर कर दीजिए ।

Key Points

  • उपर्युक्त पंक्ति बिहारी सतसई से लिया गया है। जिसमें दीन - दुखी (गरीब लोग) के बांधा (समस्या) को हरने (खत्म) करने की बात की जा रही है।
  • बिहारी सतसई के रचनाकार बिहारीलाल है।
  • बिहारी सतसई में 713 दोहे है।

Additional Information

  • बिहारीलाल की प्रमुख पंक्तियाँः-
  • नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहि विकास यहि काल।
  • कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।

Important Points

  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बिहारी के संबंध में कथनः-
  • श्रृंगार रस के ग्रंथो मे जिनती ख्याती और जितना मान बिहारी सतसई का हुआ उतना और किसी का नहीं। इसका एक - एक दोहा हिन्दी साहित्य मे एक - एक रत्न माना जाता है।
  • यदि प्रबंध काव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।
  • बिहारी की रस व्यंजना का पूर्ण वैभव उनके अभावों के विधान में दिखाई पड़ता है।

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