निम्नलिखित में से रस के चार अवयवों में सम्मिलित नहीं है :

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  1. संचारी भाव
  2. अनुभाव
  3. स्थायी भाव
  4. विषयानंद भाव

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Option 4 : विषयानंद भाव
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HTET PGT Official Computer Science Paper - 2019
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रस के चार अवयवों में सम्मिलित नहीं है- विषयानंद भाव

विषयानंद भाव-

  • विषयों अर्थात भोग-विलास से मिलने वाला आनंद। 

Key Pointsस्थायी भाव-

  • मन के भीतर स्थायी रूप से रहने वाला सुषुप्त संस्कार या वासना को स्थायी भाव कहते हैं।
  • स्थायी भाव अनुमूल आलम्बन तथा उद्दीपन रूप उद्बोधन सामग्री के संयोग से रस रूप में अभिव्यक्त होते हैं।
  • स्थायी भाव नौ माने गए हैं-
    •  रति, हास, शोक, क्रोध, भय, जुगुप्सा, निर्वेद, विस्मय। 

अनुभाव-

  • ’अनुभावो भाव बोधक’ अर्थात् भाव का बोध कराने वाले अनुभाव होते हैं।
  • आलम्बन उद्दीपन विभाव द्वारा रस को पुष्ट करने वाली शारीरिक मानसिक अथवा अनायास होने वाली चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
  • अनुभाव के चार भेद हैं-
    • कायिक 
    • वाचिक 
    • आंगिक
    • आहार्य 

संचारी भाव-

  • व्यभिचारी (संचारी) भाव स्थायी भाव के साथ-साथ संचरण करते हैं, इनके द्वारा स्थायी भाव की स्थिति की पुष्टि होती है।
  • संचारी भाव उसी प्रकार उठते हैं और लुप्त होते हैं जैसे जल में बुदबुदे और लहरें उठती हैं और विलीन होती रहती है।
  • संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई हैं-
    • निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, दैन्य, चिन्ता, मोह आदि। 

Important Pointsरस-

  • रस काव्य का मूल आधार प्राणतत्व अथवा आत्मा है। 
  • आचार्य भरतमुनि-
    • "विभावानुभावव्यभिचारि संयोगाद्रसनिष्पत्ति।"
  • रस के चार भेद हैं-
    • स्थायी भाव 
    • विभाव 
    • अनुभाव 
    • व्यभिचारी(संचारी) भाव 

Additional Informationविभाव-

  • जो कारण हृदय में स्थित स्थायी भाव को जाग्रत तथा उद्दीप्त करें अर्थात् रसानुभूति के कारण को विभाव कहते हैं।
  • विभाव के दो भेद हैं-
  • आलम्बन विभाव-
    • जिस व्यक्ति या वस्तु के कारण स्थायी भाव जाग्रत होता है उन्हें आलम्बन विभाव कहते हैं।
  • उद्दीपन विभाव-
    • स्थायी भाव को उद्दीप्त या तीव्र करने वाले कारण उद्दीपन विभाव होते हैं।
    • नायक नायिका का रूप सौन्दर्य, पात्रों की चेष्टाएँ, ऋतु, उद्यान, चाँदनी, देश-काल आदि उद्दीपन विभाव होते हैं।

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