अवलोकन
टेस्ट सीरीज़
संपादकीय |
संपादकीय लागत और लाभ: बांग्लादेश, भारत और शेख हसीना पर 3 जनवरी, 2025 को द हिंदू में प्रकाशित |
यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए विषय |
भारत-बांग्लादेश संबंध, भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि 2013 |
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए विषय |
भारत में प्रत्यर्पण कानून, भारत की शरणार्थी नीति, पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता का भारत की सुरक्षा पर प्रभाव |
संदर्भ: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अगस्त 2024 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान निर्वासन की मांग करते हुए नई दिल्ली भाग गईं। हालांकि, 23 दिसंबर 2024 को बांग्लादेश ने औपचारिक रूप से भारत से उन्हें “न्यायिक प्रक्रिया” के लिए प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया।
बांग्लादेश ने 2013 प्रत्यर्पण संधि के तहत भ्रष्टाचार और मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोपों का हवाला देते हुए औपचारिक रूप से "नोट वर्बेल" के माध्यम से शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था।
भारत में राजद्रोह कानून पर लेख पढ़ें!
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भारत ऐतिहासिक संबंधों, उनके परिवार की विरासत, राजनीतिक शरणार्थियों को संरक्षण देने की मिसाल और अंतरिम शासन की वैधता पर सवाल उठाने के कारण हसीना को प्रत्यर्पित करने में हिचकिचा रहा है।
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सीमा पर तनाव, भारत की ओर से हसीना के राजनीतिक बयानों तथा द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को बनाए रखने की अनिवार्यता के बीच प्रत्यर्पण मुद्दे ने संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
सीमा पर तनाव, भारत की ओर से हसीना के राजनीतिक बयानों तथा द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को बनाए रखने की अनिवार्यता के बीच प्रत्यर्पण मुद्दे ने संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
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