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Download Solution PDFआचार्य रामचन्द्र शुक्ल परिमार्जित गद्य की प्रथम पुस्तक किसे मानते हैं ?
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MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
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Option 4 : भाषायोग वशिष्ठ
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MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
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Detailed Solution
Download Solution PDFआचार्य रामचन्द्र शुक्ल परिमार्जित गद्य की प्रथम पुस्तक मानते हैं - भाषायोग वशिष्ठ
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने "भाषायोग वाशिष्ठ" को परिमार्जित गद्य की प्रथम पुस्तक माना है, उन्होंने इसे खड़ी बोली गद्य का आरंभ भी माना है।
Key Pointsभाषायोग वशिष्ठ-
- रचनाकार- रामप्रसाद 'निरंजनी'
- समय- 1741 ई.
- विषय-
- इसकी भाषा पंजाबी-ब्रजभाषा मिश्रित खड़ी बोली है।
- आचार्य शुक्ल ने 'भाषा योगवाशिष्ट को परिमार्जित गद्य की प्रथम पुस्तक और 'रामप्रसाद निरंजनी' को 'प्रथम प्रौढ़ गद्य लेखक' माना है।
Important Pointsनासिकेतोपाख्यान-
- रचनाकार- पं० सदल मिश्र
- समय- 1803 ई.
- अन्य नाम- चंद्रावली
- विषय-
- इसकी रचना यजुर्वेद के आधार पर काठोपनिषद् में वर्णित नचिकेता की कथा को आधार बनाकर की गई है।
सुखसागर -
- रचनाकार- मुंशी सदासुखलाल
- समय- 1800 ई.
- विषय-
- सुखसागर सनातन मतावलम्बियों का एक विशिष्ट धार्मिक ग्रन्थ है।
- आपने श्रीमद्भागवद् का अनुवाद 'सुखसागर' नाम से किया।
प्रेमसागर-
- रचनाकार- लल्लू लाल
- समय- 1810 ई.
- भाषा - प्रारम्भिक हिन्दी खड़ीबोली
- विषय-
- इस ग्रंथ में भागवत पुराण के दशम स्कंध की कथा है, जिसमें कृष्ण लीला का वर्णन है।
Additional Informationआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- (4 अक्टूबर 1884 - 2 फरवरी 1941)
- हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएँ, काव्य में रहस्यवाद,
- काव्य में अभिव्यंजनावाद, रसमीमांसा आदि शुक्ल की आलोचनात्मक रचनाएँ हैं।
- निबन्धात्मक ग्रन्थ -
- उनके निबन्ध चिंतामणि नामक ग्रंथ के दो भागों में संग्रहीत हैं।
Last updated on Feb 10, 2025
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