निम्नलिखित वक्तव्यों (A) और (B) पर विचार कर सही विकल्प का चयन कीजिए:

वक्तव्य (A) ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भारतीय गांवों की ज़्यादतर भट्टियां अनुपयोगी हो गई थीं।

वक्तव्य (B) इसका एक कारण औपनिवेशक सरकार द्वारा वनों पर नया नियम लागू करना था।

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CTET Paper 2 Social Science 21st Dec 2021 (Eng/Hin/Sans/Ben/Mar/Tel)
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  1. (A) सही है पर (B) गलत है।
  2. (A) और (B) सही है।
  3. (A) और (B) दोनों सही हैं पर (B) सही व्याख्या नहीं है (A) की।
  4. (A) और (B) दोनों सही हैं और (B) सही व्याख्या है (A) की।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : (A) और (B) दोनों सही हैं और (B) सही व्याख्या है (A) की।
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19वीं शताब्दी तक, ब्रिटिश काल के दौरान, भट्टियां अधिकांश भारतीय गांवों में अनुपयोगी हो गईं, इसका एक कारण औपनिवेशिक सरकार द्वारा बनाए गए नए वन कानून थे।

Key Points

  • भट्टियां अक्सर मिट्टी और धूप में सुखाई गई ईंटों से बनी होती थीं।
  • हालांकि, उन्नीसवीं सदी के अंत तक, लोहे प्रगलन शिल्प में गिरावट आई थी।
  • नए वन कानून जब औपनिवेशिक सरकार ने लोगों को आरक्षित वनों में प्रवेश करने से रोका।
  • वन कानूनों की अवहेलना करते हुए, वे अक्सर गुप्त रूप से जंगलों में प्रवेश करते थे और लकड़ी एकत्र करते थे, लेकिन वे इस आधार पर अपना व्यवसाय अधिक समय तक चालब नहीं रख सकते थे।
  • लोहा प्रगलन वालों को उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रत्येक भट्टी के लिए वन विभाग को बहुत अधिक कर देना पड़ता था।
  • बहुतों ने अपना शिल्प छोड़ दिया और आजीविका के अन्य साधनों की तलाश की।
  • उन्नीसवीं सदी के अंत तक ब्रिटेन से लोहा और इस्पात का आयात होने लगा था

Important Points

  • वूट्ज़ इस्पात के उत्पादन के लिए लोहे को परिष्कृत करने की एक अत्यधिक विशिष्ट तकनीक की आवश्यकता होती है।
  • उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक भारत में लौह प्रगलन (लौह अयस्क से धातुओं का निष्कर्षण) अत्यंत सामान्य था।
  • गलाने का काम पुरुषों द्वारा किया जाता था जबकि महिलाएं धौंकनी का काम करती थीं, हवा को पंप करती थीं जिससे लकड़ी का कोयला जलता रहता था।
  • कुछ क्षेत्रों में, सरकार ने जंगल तक पहुंच प्रदान की।
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