Question
Download Solution PDFComprehension
नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी बोर्ड के एक सदस्य श्री. कुमार मंगलम बिड़ला की अध्यक्षता में उत्तम कॉरपोरेट शासन को बढ़ावा देने तथा उनके मानकों का ऊंचा उठाने के लिए एक समिति गठित की। इस समिति का मुख्य उद्देश्य कॉरपोरेट शासन का अवलोकन निवेशकों तथा शेयरधारकों के परिपेक्ष्य से करना तथा भारतीय कॉरपोरेट वातावरण के अनुकूल ‘संहिता’ का निर्माण करना था।
इसकी अनिवार्य सिफारिशें 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक की प्रदत्त शेयर पूंजी वाली सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू होती हैं। निदेशक मंडल की संरचना में कार्यपालक तथा गैर कार्यपालक निदेशकों का इष्टतम संयोजन होना चाहिए। लेखा परीक्षा समिति में 3 स्वतंत्र निदेशक तथा एक वित्त एवं लेखा ज्ञान वाले विशेषज्ञ होने चाहिए। बोर्ड की बैठक वर्ष में कम से कम चार बार तथा अधिकतम 2 बैठकों के बीच का अन्तराल 4 माह का होना चाहिए, ताकि प्रचालानात्मक योजनाओं, पूंजी बजटों, तिमाही परिणामों, समिति की बैठकों के कार्यवृत्तों की समीक्षा की जा सकें। निदेशक 10 से अधिक समितियों के सदस्य नहीं हो सकता तथा वह सभी कंपनियों मे से 5 से अधिक कंपनियों का अध्यक्ष नहीं हो सकता।
गैर अनिवार्य सिफारीशें सभी सूचीबद्ध निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, उनके निदेशकों, प्रबंधन, कर्मचारियों तथा ऐसी कंपनियों से संबंधित व्यवसायिकों पर लागू होनी थी। समिति यह मानती है कि सिफारिशों वाली कंपनियों के वर्तमान बोर्डों की पुनर्संरचना में कार्य करना चाहिए। वह यह भी मान्यता प्रदान करती हैं की ऐसी कंपनियों को इन शर्तों को तत्काल पालन करने में कठिनाई होगी।
कुमार मंगलम बिड़ला समिति की सिफारिशें किस श्रेणी में दी गई हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है दो श्रेणियाँ
Key Points
- कुमार मंगलम बिड़ला समिति की सिफारिशें दो श्रेणियों में विभाजित हैं:
- पाठ में कहा गया है कि सिफारिशों को अनिवार्य और गैर-अनिवार्य दिशानिर्देशों में वर्गीकृत किया गया है।
- अनिवार्य सिफारिशें ₹3 करोड़ और उससे अधिक की प्रदत्त पूँजी वाली सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाध्यकारी हैं, जो बोर्ड संरचना, लेखा परीक्षा समितियों, बोर्ड बैठकों और समिति सदस्यता की सीमा पर केंद्रित हैं।
- गैर-अनिवार्य सिफारिशें सभी सूचीबद्ध निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए हैं, जिनका उद्देश्य अच्छे शासन के तरीकों को बढ़ावा देना है, लेकिन बिना प्रवर्तन दायित्वों के।
- यह दो-स्तरीय संरचना छोटी फर्मों के लिए लचीलापन प्रदान करती है जबकि यह सुनिश्चित करती है कि वित्तीय उद्यमों में बड़ी कंपनियों के लिए आवश्यक शासन मानक बनाए रखे जाएं।
Additional Information
- तीन श्रेणियाँ:
- पाठ में सिफारिशों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करने का कोई उल्लेख नहीं है।
- यह गलत होगा क्योंकि पाठ स्पष्ट रूप से केवल अनिवार्य और गैर-अनिवार्य प्रकारों को उजागर करता है।
- चार श्रेणियाँ:
- गलत धारणा। समिति सिफारिशों को आगे चार खंडों जैसे लेखा परीक्षा, बोर्ड संरचना, शेयरधारकों के अधिकार आदि में उप-विभाजित नहीं करती है।
- पाँच श्रेणियाँ:
- यह गलत है क्योंकि पाठ में पाँच अलग-अलग सिफारिश प्रकारों का समर्थन करने वाला कोई प्रमाण या उल्लेख नहीं है। द्विभाजन स्पष्ट रूप से दो तक सीमित है।