हिन्दी भाषा और उसका विकास MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for हिन्दी भाषा और उसका विकास - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें
Last updated on Mar 10, 2025
Latest हिन्दी भाषा और उसका विकास MCQ Objective Questions
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 1:
छत्तीसगढ़ी भाषा के विकासक्रम में भाषा का सर्वप्रथम स्वरूप क्या था?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर 'वैदिक संस्कृत' है।
Key Points
- छत्तीसगढ़ी भाषा के विकासक्रम में भाषा का सर्वप्रथम स्वरूप 'वैदिक संस्कृत' था।
- छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास संस्कृत से हुआ है, जो विकासक्रम में अपभ्रंश से होते हुए अर्द्धमागधी तक पंहुची।
- अर्द्धमागधी के अपभ्रंश के दक्षिणी रूप से इसका विकास हुआ।
- छत्तीसगढ़ी का विकासक्रम इस प्रकार है -
- वैदिक संस्कृत --> लौकिक संस्कृत --> पालि --> प्राकृत --> अपभ्रंश --> अर्द्धमागधी --> पूर्वी हिंदी --> छत्तीसगढ़ी
अन्य विकल्प -
भाषा का रूप |
परिचय |
पालि |
पालि शब्द पीछे संस्कृत में भी प्रचलित हुआ पाया जाता है। सम्राट् अशोक के भाब्रू शिलालेख में त्रिपिटक के 'धम्मपरियाय' शब्द स्थान पर मागधी प्रवृत्ति के अनुसार 'धम्म पलियाय' शब्द का प्रयोग पाया जाता है, जिसका अर्थ बुद्ध-उपदेश या वचन होता है। कश्यप जी के अनुसार इसी पलियाय शरण से पालि की व्युत्पत्ति हुई। |
अवहट्ट |
अपभ्रंश के ही उत्तरकालीन या परवर्ती रूप को 'अवहट्ट' नाम दिया गया है। ग्यारहवीं से लेकर चौदहवीं शती के अपभ्रंश रचनाकारों ने अपनी भाषा को अवहट्ट कहा। |
पश्चिमी हिंदी |
पश्चिमी हिन्दी में कन्नौजी, बुंदेली, खड़ी बोली, बांगरू तथा ब्रज बोली को सम्मिलित किया जाता है। खड़ी बोली अपने मूल रूप में मेरठ, बिजनौर के आसपास बोली जाती है। इसी के आधार पर आधुनिक हिन्दी और उर्दू का रूप खड़ा हुआ है। बांगरू को 'जाटू' या 'हरियाणवी' भी कहते हैं। |
Additional Information
छत्तीसगढ़ी |
|
Top हिन्दी भाषा और उसका विकास MCQ Objective Questions
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 2:
छत्तीसगढ़ी भाषा के विकासक्रम में भाषा का सर्वप्रथम स्वरूप क्या था?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर 'वैदिक संस्कृत' है।
Key Points
- छत्तीसगढ़ी भाषा के विकासक्रम में भाषा का सर्वप्रथम स्वरूप 'वैदिक संस्कृत' था।
- छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास संस्कृत से हुआ है, जो विकासक्रम में अपभ्रंश से होते हुए अर्द्धमागधी तक पंहुची।
- अर्द्धमागधी के अपभ्रंश के दक्षिणी रूप से इसका विकास हुआ।
- छत्तीसगढ़ी का विकासक्रम इस प्रकार है -
- वैदिक संस्कृत --> लौकिक संस्कृत --> पालि --> प्राकृत --> अपभ्रंश --> अर्द्धमागधी --> पूर्वी हिंदी --> छत्तीसगढ़ी
अन्य विकल्प -
भाषा का रूप |
परिचय |
पालि |
पालि शब्द पीछे संस्कृत में भी प्रचलित हुआ पाया जाता है। सम्राट् अशोक के भाब्रू शिलालेख में त्रिपिटक के 'धम्मपरियाय' शब्द स्थान पर मागधी प्रवृत्ति के अनुसार 'धम्म पलियाय' शब्द का प्रयोग पाया जाता है, जिसका अर्थ बुद्ध-उपदेश या वचन होता है। कश्यप जी के अनुसार इसी पलियाय शरण से पालि की व्युत्पत्ति हुई। |
अवहट्ट |
अपभ्रंश के ही उत्तरकालीन या परवर्ती रूप को 'अवहट्ट' नाम दिया गया है। ग्यारहवीं से लेकर चौदहवीं शती के अपभ्रंश रचनाकारों ने अपनी भाषा को अवहट्ट कहा। |
पश्चिमी हिंदी |
पश्चिमी हिन्दी में कन्नौजी, बुंदेली, खड़ी बोली, बांगरू तथा ब्रज बोली को सम्मिलित किया जाता है। खड़ी बोली अपने मूल रूप में मेरठ, बिजनौर के आसपास बोली जाती है। इसी के आधार पर आधुनिक हिन्दी और उर्दू का रूप खड़ा हुआ है। बांगरू को 'जाटू' या 'हरियाणवी' भी कहते हैं। |
Additional Information
छत्तीसगढ़ी |
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