भारतीय काव्यशास्त्र MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भारतीय काव्यशास्त्र - Download Free PDF

Last updated on Jun 13, 2025

Latest भारतीय काव्यशास्त्र MCQ Objective Questions

भारतीय काव्यशास्त्र Question 1:

नगण में कितने लघु और गुरु वर्ण होते है?

  1. III
  2. SSS
  3. ISI
  4. SII
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : III

भारतीय काव्यशास्त्र Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है -।।। 

Key Points 

  • नगण में तीनो लघु वर्ण होते हैं। 
    नगण का सही सूत्र है -।।। 

Additional Information 

गण-  केवल वर्णिक छंद में प्रयोग होते है।

गणों की संख्या 8 है- यगण (।ऽऽ), मगण (ऽऽऽ), तगण (ऽऽ।), रगण (ऽ।ऽ), जगण (।ऽ।), भगण (ऽ।।), नगण (।।।) और सगण (।।ऽ)।

तगण के लिए सूत्र-  ऽऽ।

  • उदाहरण- चालाक, आधार आदि।

रगण के लिए सूत्र-  ऽ।ऽ

  • उदाहरण- पालना, मारना आदि।

जगण के लिए सूत्र- ।ऽ।

  • उदाहरण- मरीन, समीर आदि।

भारतीय काव्यशास्त्र Question 2:

'दोहा' में विषम एवं सम चरणों में मात्राओं का क्रम होता है -

  1. 13 - 11
  2. 15 - 13
  3. 12 - 7
  4. 14 - 10
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 13 - 11

भारतीय काव्यशास्त्र Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है - 13 - 11

Key Points

  • दोहा मात्रिक छंद है।
  • इसे अर्द्ध सम मात्रिक छंद कहते हैं ।
  • दोहे में चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) चरण में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।  दोहे में विषम एवं सम चरणों के कलों का क्रम निम्नवत होता है| 
  • विषम चरणों के कलों का क्रम 4+4+3+2 (चौकल+चौकल+त्रिकल+द्विकल) 3+3+2+3+2 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल+द्विकल)
  • सम चरणों के कलों का क्रम 4+4+3 (चौकल+चौकल+त्रिकल) 3+3+2+3 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल) 

Additional Information

  • अक्षरों का क्रम, उनकी संख्या, उनकी मात्रा की गणना तथा विराम (यति)-गति से युक्त एवं विशिष्ट नियमों से बंधी हुई पद्य रचना छंद कहलाती है।
  • छंद का अर्थ बंधन होता है।
  • जब किसी पद्य में निश्चित लय, गति, विराम, तुक, वर्ण, मात्रा आदि से नियोजित होती है तो वह छंद कहलाती है।

भारतीय काव्यशास्त्र Question 3:

निम्नलिखित में से भोजराज की पुस्तक है :

  1. अभिनव भारती 
  2. व्यक्ति विवेक
  3. काव्य कौतुक
  4. शृंगार प्रकाश
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : शृंगार प्रकाश

भारतीय काव्यशास्त्र Question 3 Detailed Solution

श्रृंगार प्रकाश भोजराज की पुस्तक है।

Key Points

श्रृंगार प्रकाश

  • लेखक :- भोजराज
  • विधा :- टीका

यह ज्यादातर अलंकार-शास्त्र (बयानबाजी) और रस से संबंधित है।

इस महान कृति का एक बड़ा हिस्सा श्रृंगार रस को समर्पित है , जो भोज के सिद्धांत के अनुसार: "केवल एक ही रस स्वीकार्य है।

1908 में प्रलेखित छत्तीस अध्यायों से युक्त संस्कृत कविता का एक विशाल समूह है।

Additional Information

अभिनवभारती

  • अभिनवगुप्त की रचना है।
  • यह भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की टीका है।यह नाट्यशास्त्र की एकमात्र टीका है।
  • इसमें अभिनवगुप्त ने आनन्दवर्धन के ध्वन्यालोक में प्रतिपादित 'अभिव्यक्ति के सिद्धान्त' और कश्मीर के प्रत्यभिज्ञा दर्शन के प्रकाश में भरतमुनि के रससूत्र की व्याख्या की है।

व्यक्तिविवेक

  • "व्यक्तिविवेक" के निर्माता महिम भट्ट।
  • काल ईसा की 11वीं शताब्दी है।
  • इनकी उपाधि "राजानक" थी।

काव्य कौतुक

  • रचनाकार :- अभिनव भारती
  • आलंकारिक काल की रचना है।
  • इस युग से संबद्ध तीन प्रौढ़ रचनाओं का परिचय प्राप्त है - काव्य-कौतुक-विवरण, ध्वन्यालोकलोचन तथा अभिनवभारती।

भारतीय काव्यशास्त्र Question 4:

'दोहा' में विषम एवं सम चरणों में मात्राओं का क्रम होता है -

  1. 13 - 11
  2. 15 - 13
  3. 12 - 7
  4. 14 - 10
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 13 - 11

भारतीय काव्यशास्त्र Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है - 13 - 11

Key Points

  • दोहा मात्रिक छंद है।
  • इसे अर्द्ध सम मात्रिक छंद कहते हैं ।
  • दोहे में चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) चरण में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।  दोहे में विषम एवं सम चरणों के कलों का क्रम निम्नवत होता है| 
  • विषम चरणों के कलों का क्रम 4+4+3+2 (चौकल+चौकल+त्रिकल+द्विकल) 3+3+2+3+2 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल+द्विकल)
  • सम चरणों के कलों का क्रम 4+4+3 (चौकल+चौकल+त्रिकल) 3+3+2+3 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल) 

Additional Information

  • अक्षरों का क्रम, उनकी संख्या, उनकी मात्रा की गणना तथा विराम (यति)-गति से युक्त एवं विशिष्ट नियमों से बंधी हुई पद्य रचना छंद कहलाती है।
  • छंद का अर्थ बंधन होता है।
  • जब किसी पद्य में निश्चित लय, गति, विराम, तुक, वर्ण, मात्रा आदि से नियोजित होती है तो वह छंद कहलाती है।

भारतीय काव्यशास्त्र Question 5:

चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं-

  1. 11
  2. 13
  3. 16
  4. 15
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 16

भारतीय काव्यशास्त्र Question 5 Detailed Solution

चौपाई के प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती है। 

जैसे:

छंद

परिभाषा

उदाहरण

चौपाई छंद

चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएं होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।

बदउऺ गुरु पद पदुम परागा, सुरुचि सुबास सरस अनुराधा।।

अमिय मूरिमय चूरन चारू, समन सकल भव रुज परिवारू।।

Important Points

  • छंद शब्द 'छद' धातु से बना है।
  • जिसका अर्थ है 'खुश करना '।
  • वर्णों या मात्राओ के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आल्हाद पैदा हो तो उसे छंद कहते है।
  • छंद का दूसरा नाम पिंगल भी है।क्योंकि छंदशास्त्र के प्रणेता पिंगल नाम के ऋषि थे।
  • जिस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण है।उसी प्रकार पद्य का छंद शास्त्र।

Key Points 

  • छंद तीन प्रकार के होते है। 
    • वर्णिक 
    • मात्रिक 
    • मुक्त 
      • यहाँ पर चौपाई छंद मात्रिक छंद की श्रेणी में आता है।और मात्रिक छंद में भी यह सम्मात्रिक छंद का उदाहरण है।
      • ​इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती है। 

Top भारतीय काव्यशास्त्र MCQ Objective Questions

कुण्डलिया छंद किन दो छंदों के योग से बनता है?

  1. दोहा-रोला 
  2. दोहा-उल्लाला
  3. दोहा-सोरठा
  4. रोला-उल्लाला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : दोहा-रोला 

भारतीय काव्यशास्त्र Question 6 Detailed Solution

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कुण्डलिया छंद दोहा-रोला छंदों के योग से बनता है।  

  • कुंडलियाँ एक विषम मात्रिक छंद होता है।
  • यह दोहा-रोला छंदों के योग से बनता है। 
  • पहले एक दोहा और बाद में दोहा के चौथे चरण से यदि एक रोला रख दिया जाए तो वह कुंडलिया छंद बन जाता है। 

उदाहरण

  • रत्नाकर सबके लिए, होता एक समान।
  • बुद्धिमान मोती चुने, सीप चुने नादान॥
  • सीप चुने नादान,अज्ञ मूंगे पर मरता।
  • जिसकी जैसी चाह,इकट्ठा वैसा करता।
  • ‘ठकुरेला’ कविराय, सभी खुश इच्छित पाकर।
  • हैं मनुष्य के भेद, एक सा है रत्नाकर॥

Additional Information  मात्रिक छन्द - 

चौपाई
  • प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ 
  • चरण के अन्त में दो गुरु 
रोला 
  • प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ 
  • 13 मात्राओं पर ‘यति’
हरिगीतिका
  • प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ
  • अन्त में लघु और गुरु 
  • 16 व 12 मात्राओं पर यति 
दोहा
  • 24 मात्राएँ 
  • विषम चरण में 13-13 मात्राएँ  
  • सम चरण में 11-11 मात्राएँ
सोरठा
  • विषम चरण में 11-11 मात्राएँ
  • सम चरण में 13-13 मात्राएँ
उल्लाला
  • विषम चरण में 15-15 मात्राएँ
  • सम चरण में 13-13 मात्राएँ
छप्पय
  • प्रथम चार चरण रोला
  • अन्तिम दो चरण उल्लाला
बरवै
  • विषम चरण में 12-12 मात्राएँ 
  • सम चरण में 7-7 मात्राएँ 

गीतिका

  • कुल 26 मात्राएँ 
  • 14-12 पर यति
  • चरण के अन्त में लघु-गुरु आवश्यक 

वीर 

  • कुल 31 मात्राएँ 
  • प्रत्येक चरण में 16, 15 पर यति
  • गुरु-लघु होना आवश्यक
कुण्डलिया
  • प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ
  • प्रथम दो चरण दोहा
  • बाद के चार चरण रोला 

निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि नीचे दिए गए छंद के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएँ है-

करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेश की । हे मातृभूमि ! तू सत्य ही, सगुण - मति सर्वेश की। 

  1. 15 से 13 के क्रम से 28
  2. पहले और तीसरे में 12
  3. प्रत्येक चरण में 24
  4. प्रत्येक चरण में 15

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 15 से 13 के क्रम से 28

भारतीय काव्यशास्त्र Question 7 Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 1-  15 से 13 के क्रम से 28 होगा।

Key Points

करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेश की । हे मातृभूमि ! तू सत्य ही, सगुण - मति सर्वेश की। - छंद में 15 से 13 के क्रम से 28 मात्राएँ हैं।

छंद

अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना 'छन्द' कहलाती है।

छन्द के निम्नलिखित अंग है-
(1)चरण /पद /पाद
(2) वर्ण और मात्रा
(3) संख्या क्रम और गण
(4)लघु और गुरु
(5) गति
(6) यति /विराम
(7) तुक

'आलंबनत्व धर्म का साधारणीकरण होता है' पंक्ति किस विद्वान की है?

  1. राममूर्ति त्रिपाठी
  2. रामचन्द्र शुक्ल 
  3. गुलाबराय
  4. विश्वनाथ मिश्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : रामचन्द्र शुक्ल 

भारतीय काव्यशास्त्र Question 8 Detailed Solution

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सही उत्तर है - आलंबनत्व धर्म का साधारणीकरण होता है। 

  • रामचन्द्र शुक्ल ने साधारणीकरण को संदर्भित करते हुए कहा है कि
    • आलंबनत्व धर्म का साधारणीकरण होता है।
    • वे सहृदय के आश्रय से तदात्म्य स्वीकारते हैं और आलंबन का साधारणीकरण। 

Key Pointsअन्य विकल्प -

राममूर्ति त्रिपाठी  
  • जन्म- 4 जनवरी, 1929
  • हिन्दी एवं संस्कृत के विद्वान एवं समालोचक थे।
  • कुछ कृतियाँ -  रस विमर्श, साहित्यशास्त्र के प्रमुख पक्ष, औचित्य विमर्श, भारतीय साहित्य दर्शन। 
गुलाबराय 
  • जन्म- 17 जनवरी
  • भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, निबंधकार और व्यंग्यकार थे।
  • कुछ कृतियाँ - नवरस, कर्तव्य,मेरी असफलताएँ, विज्ञान वार्ता, ठलुआ क्लब। 
विश्वनाथ मिश्र 
  • जन्म- 1906
  • प्रख्यात साहित्यिक संस्था ‘प्रसाद परिषद’ के सभापति रहे थे।
  • कुछ कृतियाँ - हिन्दी साहित्य का अतीत, हिन्दी का सामायिक इतिहास, रसखानी, केशवदास। 

‘करते सब ग्रन्थ निषेध हैं, हिंसा लालच क्रोध का |

भव-सागर से तरेगा जब, पथ पकडेगा बोध का ||’

इसमें प्रयुक्त छन्द का नाम बताइए:

  1. उल्लाला छन्द
  2. रोला छन्द
  3. हरिगीतिका छन्द
  4. गीतिका छन्द

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उल्लाला छन्द

भारतीय काव्यशास्त्र Question 9 Detailed Solution

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दिये गए विकल्पों में से 'उल्लाला छन्द' सही उत्तर है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 1 'उल्लाला छन्द' है।अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

Key Points

उल्लाला छंद

  • यह अर्ध सममात्रिक छन्द है।
  • उल्लाला में 28 मात्राएँ होते हैं।
  • जिसमें पहले और तीसरे चरण में 15-15 दूसरे और चौधे चरण में 13-13 मात्राएं होती है। 

अन्य विकल्प

  • रोला - रोला मात्रिक सम छंद होता है। इसके प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक चरण यति पर दो पदों में विभाजित हो जाता हैl
  • हरिगीतिका - यह एक मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते है। इस छंद के प्रत्येक चरण में 16 और 12 के विराम से कुल 28 मात्राएँ होती हैंl
  • गीतिका - इस छन्द में 26 मात्राएँ होती है जिसमें 14 (चौदह) और 12 (बारह) मात्राओं पर यति अर्थात विराम होता है। यह भी सममात्रिक छन्द के अन्तर्गत आते हैं। अतः गीतिका छन्द = 14+12 = 26

Additional Information

छंद की परिभाषा - निश्चित चरण, वर्ण, मात्रा, गति, यति, तुक और गण आदि के द्वारा नियोजित पद्य रचना को छंद कहते हैं।

एक छंद में कितने चरण होते है ?

  1. चार
  2. छह
  3. आठ
  4. दस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : चार

भारतीय काव्यशास्त्र Question 10 Detailed Solution

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एक छंद में चार चरण होते है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 1 ‘चार है।

Key Points

  • प्रत्येक छन्द चरणों में विभाजित होता है।
  • इनको पद या पाद कहते है।
  • जिस प्रकार मनुष्य चरणों पर चलता है, उसी प्रकार कविता भी चरणों पर चलती है।
  • छन्द में प्रायः चार चरण होते है।
  • जो सामान्यतः चार पंक्तियों में लिखे जाते है।
  • किन्ही-किन्ही छन्दो में, जैसे- छप्पय, कुण्डलियाँ आदि में छह चरण होते है।

 Additional Information

  • वर्णों या मात्राओं की संख्या व क्रम तथा गति, यति और चरणान्त के नियमों के अनुसार होने वाली रचना को छन्द कहते हैं।

    •  वर्ग और मात्रा  किसी अक्षर को बोलने में जो समय लगता है, उसे मात्रा कहते हैं। मात्राएं दो प्रकार की होती है – ह्रस्व (लघु) और दीर्घ (गुरु)। लघु – अ,इ,उ,ऋ (।) और दीर्घ – आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ, औ (ऽ)
    • गण  तीन वर्णों के समूह को गण कहते हैं। गण 8 होतेे हैं – य माता राज भान स लगा।
    • गति  निश्चित वर्णों या मात्राओं तथा यति से नियंत्रित छन्द की लय या प्रवाह को गति कहते हैं।
    • यति  छन्द के पढ़ते समय नियमानुसार निश्चित स्थान पर कुछ ठहराव को यति कहते हैं।
    • चरण  पद्य के प्रायः चतुर्थांश को चरण कहते हैं। इसी को पद भी कहा जाता है।
    • तुक  तुक छन्द का प्राण है, यह पद्य को गद्य होने से बचाती है। चरणान्त में वर्णों की आवृत्ति को तुक कहते हैं।

Important Points

छन्द

जिस शब्द-योजना में वर्णों या मात्राओं और यति-गति का विशेष नियम हो, उसे छन्द कहते हैं। छन्द को पद्य का पर्याय कहा है। विश्वनाथ के अनुसार ‘छन्छोबद्धं पदं पद्यम्’ अर्थात् विशिष्ट छन्द में बंधी हुई रचना को पद्य कहा जाता है। छन्द ही वह तत्व है, जो पद्य को गद्य से भिन्न करता है। आधुनिक हिन्दी कविता में परम्परागत छन्द का बंधन मान्य नहीं है। उसमें ‘मुक्त छन्द’ का प्रयोग होता है। बिना छन्द या लय के कविता की रचना नहीं की जा सकती।

 

'सोरठा' के प्रथम चरण में कितनी मात्राएं होती है ?

  1. 10
  2. 11
  3. 12
  4. 13

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : 11

भारतीय काव्यशास्त्र Question 11 Detailed Solution

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'सोरठा' के प्रथम चरण में  11 मात्राएं होती है, अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प 2 '11' सही उत्तर होगा। 

Key Points

सोरठा मात्रिक छंद है और यह  दोहा  का ठीक उलटा होता है।

इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।

विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।

जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन

'गणों' की संख्या कितनी मानी गई है?

  1. दस
  2. आठ
  3. तेरह
  4. बीस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : आठ

भारतीय काव्यशास्त्र Question 12 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "आठ" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • गणों की संख्या आठ मानी गई है।
  • गण
    • मात्राओं और वर्णों की संख्या और क्रम की सुविधा के लिये तीन वर्णों के समूह को एक गण मान लिया जाता है।
  • गणों की संख्या 8 है
    • यगण (।ऽऽ), मगण (ऽऽऽ), तगण (ऽऽ।), रगण (ऽ।ऽ), जगण (।ऽ।), भगण (ऽ।।), नगण (।।।) और सगण (।।ऽ)।
Additional Information
  • गणों को आसानी से याद करने के लिए एक सूत्र बना लिया गया है- यमाताराजभानसलगाः
  • सूत्र के पहले आठ वर्णों में आठ गणों के नाम हैं। अन्तिम दो वर्ण ‘ल’ और ‘ग’ लघु और गुरू मात्राओं के सूचक हैं।
  • जिस गण की मात्राओं का स्वरूप जानना हो उसके आगे के दो अक्षरों को इस सूत्र से ले लें जैसे ‘मगण’ का स्वरूप जानने के लिए ‘मा’ तथा उसके आगे के दो अक्षर- ‘ता रा’ = मातारा (ऽऽऽ)।  
Important Points
  • ‘गण’ का विचार केवल वर्ण वृत्त में होता है मात्रिक छन्द इस बंधन से मुक्त होते हैं।

दोहा छंद के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएंँ होती हैं?

  1. क्रमशः 13, 11, 13, 11
  2. क्रमशः 13, 13, 11, 11
  3. क्रमशः 11, 13, 11, 13
  4. क्रमशः 11, 11, 13, 13

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : क्रमशः 13, 11, 13, 11

भारतीय काव्यशास्त्र Question 13 Detailed Solution

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सही उत्तर 'क्रमशः 13, 11, 13, 11' है। 

Key Points
  •  दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं |
  • इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (। ऽ।) 
  • उदाहरण - 
  • मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय।
    जा तन की जाँई परे, श्याम हरित दुति होय॥

Additional Information

  • जब वर्णों की संख्या, अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा गणना, एवं यति-गति आदि नियम को ध्यान में रखकर जो शब्द योजना की जाती है, उसे छंद कहते है।

छंद में प्रयुक्त अक्षर को क्या कहा जाता है?

  1. व्यंजन 
  2. चरण
  3. मात्रा
  4. वर्ण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मात्रा

भारतीय काव्यशास्त्र Question 14 Detailed Solution

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सही उत्तर 'मात्राहै।

Key Points

  • छंद में प्रयुक्त अक्षर को मात्रा कहा जाता है।
  • किसी भी ध्वनि या वर्ण के उच्चारण काल को मात्रा कहते है।

अन्य विकल्प - 

शब्द

परिभाषा

व्यंजन 

जिन वर्णों को बोलने के लिए स्वर की सहायता लेनी पढ़ती है उन्हें व्यंजन कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है उन्हें ‘व्यंजन’ कहा जाता है।

चरण

छंद के प्रायः 4 भाग होते हैं। इनमें से प्रत्येक को 'चरण' कहते हैं। दूसरे शब्दों में छंद के चतुर्थांश (चतुर्थ भाग) को चरण कहते हैं। कुछ छंदों में चरण तो चार होते हैं लेकिन वे लिखे दो ही पंक्तियों में जाते हैं, जैसे- दोहा, सोरठा आदि।

वर्ण

लिखित चिन्हों को वर्ण कहा जाता है। उच्चारित ध्वनियो में स्वर और व्यंजन दोनों शामिल है।

Additional Information

छंद

अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना 'छन्द' कहलाती है।

'दोहा के प्रथम चरण में कितनी मात्राएं होती हैं?

  1. 11
  2. 12
  3. 13
  4. 14

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 13

भारतीय काव्यशास्त्र Question 15 Detailed Solution

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'दोहा के प्रथम चरण में १३ मात्राएं होती हैं | अत: सही उत्तर विकल्प 3 13 है. अन्य विकल्प अनुचित  उत्तर हैं. 

Key Points

  • रोला छंद - दोहा अर्द्धमात्रिक छंद  है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है।
  • उदाहरण-

    बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर।।

Additional Information

अक्षर, अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा, मात्रा-गणना तथा यति-गति आदि से सम्बन्धित विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य-रचना ‘छन्द’ कहलाती है। छन्द अनेक प्रकार के होते हैं, किन्तु मात्रा और वर्ण के आधार पर छन्द मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं–

(अ) मात्रिक छन्द- मात्रा की गणना पर आधारित छन्द ‘मात्रिक छन्द’ कहलाते हैं। इनमें वर्णों की संख्या भिन्न हो सकती है, परन्तु उनमें निहित मात्राएँ नियमानुसार होनी चाहिए।

(ब) वर्णिक छन्द केवल वर्ण- गणना के आधार पर रचे गए छन्द ‘वर्णिक छन्द’ कहलाते हैं। वृत्तों की तरह इनमें गुरु-लघु का क्रम निश्चित नहीं होता, केवल वर्ण-संख्या का ही निर्धारण रहता है। इनके दो भेद हैं–साधारण और दण्डक। 1 से 26 तक वर्णवाले छन्द ‘साधारण’ और 26 से अधिक वर्णवाले छन्द ‘दण्डक’ होते हैं। हिन्दी के घनाक्षरी (कवित्त), रूपघनाक्षरी और देवघनाक्षरी ‘वर्णिक छन्द’ हैं।

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