निम्न में से किसके आलावा आकलन के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए?

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CTET 28th December 2022 Paper 1: Memory Based Test
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  1. परीक्षण का निर्माण व्यापक होना चाहिए।
  2. प्रश्नों की गुणवत्ता कठिन होनी चाहिए।
  3. परीक्षण विश्वसनीय और वैध होना चाहिए।
  4. परीक्षण की शब्दावली सामान्य होनी चाहिए।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रश्नों की गुणवत्ता कठिन होनी चाहिए।
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
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स्कूल प्रणाली में आकलन छात्र में वृद्धि और विकास की दिशा में बड़े परिवर्तनों को देखना है। छात्र के समग्र या सम्पूर्ण अधिगम की प्रक्रिया को देखने के लिए CCE (सतत एवं व्यापक मूल्यांकन) कार्यक्रम को सभी स्कूल प्रणाली में अपनाया जाता है।

Key Points

  • स्कूलों में मूल्यांकन या आकलन का मुख्य उद्देश्य छात्रों में संज्ञानात्मक, गत्यात्मक और सामाजिक कौशल के विकास को प्रोत्साहित करना और उन्हें एक परिपक्व और अधिक विद्वान मनुष्य के रूप में विकसित करना है।
  • इस प्रकार, स्कूलों में आकलन के मुख्य सिद्धांत निम्न हैं:
  1. निरंतरता का सिद्धांत: आकलन में निरंतरता होनी चाहिए। विद्यार्थी का पूरे वर्ष नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि वह कैसा प्रदर्शन कर रहा है या नहीं और शिक्षक अपने अधिगम को बढ़ाने के लिए छात्र की मदद करने और समर्थन करने के लिए अधिगम की अवधारणाओं को कहाँ संशोधित कर सकते हैं।
  2. व्यापकता का सिद्धांत: परीक्षण का निर्माण मूल्यांकन है जिसमें छात्र के ज्ञान को संपूर्ण रूप से मापने के लिए सरल से जटिल प्रश्न शामिल होते हैं। और मूल्यांकन में सभी प्रकार के परीक्षण शामिल होने चाहिए जो मौखिक, लिखित, संक्षिप्त उत्तर, लंबे उत्तर आदि हैं।
  3. वैधता और विश्वसनीयता का सिद्धांत: आकलन के प्रश्न वैध होने चाहिए, अर्थात उन्हें वही मापना चाहिए जिसे वे मापने के लिए बने हैं और विश्वसनीय भी होने चाहिए। आकलन ऐसा होना चाहिए, जो आकलन के तरीके के कारण न बदले, जो व्यक्ति आकलन कर रहा है उसके कारण न बदले और उसमें उस विषयवस्तु को भी होना चाहिए जिसे हम मापना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, हम  गणित विषय का आकलन कर रहे हैं और आकलन में इतिहास विषय से संबंधित प्रश्न दे रहे हैं, इस संदर्भ में हम यह नहीं कह सकते कि यह आकलन गणित के आकलन के लिए वैध है।
  4. समावेशन का सिद्धांत: आकलन में यह देखना होता है कि शैक्षणिक मानकों से समझौता किए बिना, पूछे गए प्रश्न ऐसे हों कि कम क्षमता वाले छात्र और अधिक क्षमता वाले छात्र दोनों अपनी समझ के स्तर के अनुसार उन्हें समझ सकें और उनका उत्तर दे सकें। इसलिए परीक्षण शब्दावली को ऐसा होना चाहिए कि इसे प्रदर्शन के सामान्य या औसत छात्र स्तर को ध्यान में रखते हुए बनाया गया हो।
  5. समानता का सिद्धांत: आकलन को एक सामान्य स्वरूप का पालन करना चाहिए जैसे कि रचनात्मक और योगात्मक आकलन प्रकारों को शामिल करना ताकि यह देश या राज्य के हर स्थान पर सामान्य रूप से उपयोग किया जा सके।
  6. गुणवत्ता का सिद्धांत: मूल्यांकन की गुणवत्ता न तो कठिन होनी चाहिए और न ही बहुत आसान होनी चाहिए। यदि यह बहुत आसान है तो उच्च क्षमता वाला बच्चा 100 प्रतिशत उपलब्धि दिखाएगा, जो कि गलत है और यदि यह कठिन है तो कम क्षमता वाले छात्रों को छोड़ दिया जाएगा और शामिल नहीं किया जाएगा, इस प्रकार उन्हें समान अवसर नहीं दिया जाएगा। इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए, प्रश्नों की गुणवत्ता सामान्य या औसत होनी चाहिए, ताकि सभी स्तर के छात्र उन्हें हल कर सकें।

इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि प्रश्नों की गुणवत्ता कठिन होना आकलन का सिद्धांत नहीं है।

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