पाठ्यक्रम |
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए विषय |
प्राचीन इतिहास , सिंधु घाटी सभ्यता, नगर नियोजन, मुहरें |
मुख्य परीक्षा के लिए विषय |
2024 में सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के 100 वर्ष पूरे हो गए। वर्ष 1924 में जॉन मार्शल जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तत्कालीन महानिदेशक थे, ने "द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज" में "सिंधु घाटी की सभ्यता" की खोज की घोषणा की। गुजरात, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, राजस्थान और यूपी सहित भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में लगभग 1,500 स्थल हैं। इसके अलावा आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी लगभग 500 स्थल हैं। इस सभ्यता के कुछ प्रमुख स्थल हड़प्पा, मोहनजो-दारो, राखीगढ़ी और धोलावीरा हैं। हड़प्पा सभ्यता की पहचान कांस्य युग की सभ्यता के रूप में भी की जाती है क्योंकि इन स्थलों में मिली कई वस्तुएं तांबे आधारित मिश्र धातुओं से बनी हैं। दया राम साहनी ने सबसे पहले 1921-22 में हड़प्पा की खुदाई की
सिंधु घाटी सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
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सिंधु घाटी सभ्यता के निम्नलिखित स्थल हैं:
वर्ष 2024 में सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की घोषणा के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस सभ्यता को अन्य सभ्यताओं से क्या खास और अलग बनाता है। सिंधु घाटी सभ्यता के निम्नलिखित महत्व हैं:
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