भारत में बाल विवाह (Child marriage in India in Hindi) सदियों से एक सामाजिक बुराई रही है। कम उम्र की लड़कियों की शादी करने की प्रथा, कुछ तो युवावस्था में आने से पहले ही, भारतीय इतिहास में गहरी जड़ें जमा चुकी है। हालाँकि पिछले कुछ सालों में बाल विवाह के खिलाफ़ कई आंदोलन हुए हैं, लेकिन भारत के कई हिस्सों में यह अभी भी प्रचलित है।
यह लेख यूपीएससी आईएएस परीक्षा और यूपीएससी इतिहास वैकल्पिक परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए फायदेमंद है।
भारत में बाल विवाह (Child marriage in India in Hindi) के इतिहास पर एक नजर:
भारत में बाल विवाह (bharat mei baal vivah) एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिसके जटिल सामाजिक-आर्थिक कारण हैं। भारत में विवाहित महिलाओं में से लगभग 25% लड़कियाँ 18 वर्ष से कम उम्र की हैं। भारत में बाल विवाह के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
भारत में बाल विवाह (Child marriage in India in Hindi) एक गंभीर मुद्दा है, जहाँ लगभग 25% लड़कियों की शादी 18 वर्ष की कानूनी उम्र से पहले हो जाती है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कानून बनाए गए हैं। यहाँ भारत में बाल विवाह से संबंधित प्रमुख कानूनों का अवलोकन दिया गया है:
युवा लड़कियों और लड़कों के जीवन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
हालांकि पिछले कुछ सालों में बाल विवाह पर रोक लगाने और उल्लंघन के लिए दंड बढ़ाने के लिए प्रगतिशील कानून बनाए गए हैं, लेकिन क्रियान्वयन और प्रवर्तन की कमी एक बड़ी समस्या रही है। भारत में इस सामाजिक बुराई पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए बाल विवाह करने वालों के लिए सख्त सजा, मौजूदा कानूनों के बारे में बेहतर जागरूकता और गरीबी और लैंगिक असमानता जैसे मूल कारणों को लक्षित करने वाली पहल की आवश्यकता है।
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