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Last updated on Mar 20, 2025

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Latest स्वर संधि MCQ Objective Questions

Top स्वर संधि MCQ Objective Questions

स्वर संधि Question 1:

'गंगोर्मि' शब्द का संधि विच्छेद क्या होगा? 

  1. गंग + उर्मि 
  2. गंगा + गोर्मी 
  3. गंगो + ऊर्मी  
  4. गंगा + ऊर्मि 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : गंगा + ऊर्मि 

स्वर संधि Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर 'गंगा + ऊर्मि है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

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  • 'गंगोर्मि' शब्द का उचित संधि-विच्छेद 'गंगा + ऊर्मि' (आ + ऊ = ओ) है। 
  • यह गुण स्वर संधि का उदाहरण है। 
  • गुण संधि – जब  ‘अ’ या ‘आ’ के पश्चात ‘इ’,  ‘ई’  हो तो ‘ए’  हो जाता है, और  अ  या आ  के साथ ‘उ’, ‘ऊ’ हो तो वह ‘ओ’ हो जाता है। तथा ‘अ’ , ‘आ’ के पश्चात ऋ  हो तो अर  हो जाता है।

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  • संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।

    संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग। 

स्वर संधि

दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।

स्वार्थ = स्व + अर्थ

 

व्यंजन संधि

व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।

 

तल्लीन = तत् +लीन

 

विसर्ग संधि

विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

 

शिरोमणि = शिर: + मणि

स्वर संधि Question 2:

‘गुरु + उपदेश’ का संधि रूप क्या होगा?

  1. गुरुउपदेश
  2. गुरूपदेश
  3. गुरप्देश
  4. गौरउपदेश

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गुरूपदेश

स्वर संधि Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर गुरूपदेशहोगा। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • ‘गुरु+उपदेश’ का उचित संधि रूप गुरूपदेश’ होगा, जो स्वर संधि का उदाहरण है। 
  • उ+उ= ऊ के नियमानुसार गुरूपदेश में दीर्घ स्वर संधि है। 
  • “जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं।“ 

Additional Information

संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है, उसे संधि कहते हैं।

संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।

संधि

परिभाषा

उदाहरण

स्वर

दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।

महाशय = महा + आशय

व्यंजन 

व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।

दिग्गज = दिक् + गज

विसर्ग

विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

शिरोमणि = शिर: + मणि

स्वर संधि Question 3:

'कपीश' की संधि विच्छेद होगी-

  1. कपी + ईश 
  2. कपि + इश 
  3. कप + ईश 
  4. कपि + ईश 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : कपि + ईश 

स्वर संधि Question 3 Detailed Solution

विकल्प 4 "कपि + ईश" सही है।

Key Points

  • 'कपीश' की संधि विच्छेद होगी- कपि + ईश
  • इस संधि को बनाने का नियम: इ + ई = ई
  • कपीश में संधि का प्रकार: दीर्घ संधि
  • अन्य विकल्प निरर्थक हैं।

Additional Information

  • दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ स्वर आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, ऊ और ऋ हो जाते हैं। इस मेल से बनने वाली संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं।
  • दीर्घ संधि स्वर संधि का एक प्रकार है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है।
  • उदाहरण -
    • (आ + आ = आ) विद्या + आलय = विद्यालय।
    • (इ + इ = ई) रवि + इंद्र = रवींद्र,
    • (इ + ई = ई) गिरि + ईश = गिरीश
    • (ई + इ = ई) मही + इंद्र = महींद्र।

स्वर संधि Question 4:

'महौषधि' में कौन-सी सन्धि है।

  1. यण
  2. गुण
  3. दीर्घ
  4. वृद्धि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वृद्धि

स्वर संधि Question 4 Detailed Solution

वृद्धि सन्धि यहाँ सही विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत है।

महा + औषधि = महौषधि, क्योंकि यदि  अ/आ के बाद ए/ऐ हो, तो ‘ऐ’, ओ/औ हो, तो ‘औ’ बन जाता हैI  वृद्धि संधि कहलाती हैI

नियम- अ + औ = औ

Key Points

अन्य विकल्प

सन्धि

परिभाषा

उदाहरण

यण

यदि  इ/ई के बाद कोई अन्य स्वर हो, तो ‘य’ बन जाता है, उ/ऊ का ‘व’ तथा  ऋ का ‘र’ बन जाता हैI यण संधि कहलाती हैI

मधु + आलय= मध्वालय

अति + उत्तम= अत्युत्तम

गुण

यदि  अ/आ के बाद इ/ई हो, तो ‘ए’ बन जाता है, तथा उ/ऊ हो, तो ‘ओ’ बन जाता है, और ऋ हो, तो ‘अर्’ बन जाता हैI गुण संधि कहलाती हैI

महा + इन्द्र= महेन्द्र

महा + ऋषि= महर्षि

दीर्घ

जब दो समान स्वर मिलकर दीर्घ रूप धारण करते है, तो दीर्घ संधि कहलाती है।

गिरि + इन्द्र= गिरीन्द्र

गिरि + ईश= गिरीश

स्वर संधि Question 5:

'शयन' शब्द का संधि विभाजन कीजिए। 

  1. श + यन
  2. श् + अयन
  3. शे + अन
  4. शय् + न

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : शे + अन

स्वर संधि Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर है :- शे + अन

Key Points

  • शयन का संधि विच्छेद = शे + अन
  • जिन स्वरों में संधि है = ए + अ= अय (अयादि स्वर संधि)
  • अयादि संधि की परिभाषा: जब ( ए, ऐ, ओ, औ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ ए – अय ‘ में, ‘ ऐ – आय ‘ में, ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ बन जाता है। य, व् से पहले व्यंजन पर अ, आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।

Additional Information 

  • दो समान वर्णो के मेल से जो विकार (बदलाव) उत्पन होता है। उसे संधि कहते है।
  • संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण से एक नया शब्द का निर्माण होता है |
  • संधि के तीन प्रकार या भेद होते हैं।
    • स्वर संधि :-
      • स्वर के साथ स्वर के योग से होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं | 
      • स्वर संधि के पाँच भेद होते है- दीर्घ संधि, गुण संधि, यण संधि, वृद्धि संधि और अयादि संधि
    • व्यंजन संधि :-
      • किसी व्यंजन वर्ण के साथ व्यंजन वर्ण या स्वर वर्ण का मेल होने के परिणामस्वरूप होने वाले विकार को व्यंजन संधि कहते हैं | 
      • जैसे :- सदाचार = सत् + आचार , अब्ज = अप् + ज
    • विसर्ग संधि :-
      • ​विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाए तब जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं |
      • जैसे :- मन:+ अनुकूल = मनोनुकूल , अध:+ गति = अधोगति 
  • उदाहरण :-
    • नवागत = नव + आगत
    • स्वार्थी  =  स्व + अर्थी
    • महोदय = महा + उदय

स्वर संधि Question 6:

'महा + इंद्र' संधि का कौन-सा प्रकार है?

  1. गुण संधि
  2. अयादि संधि
  3. दीर्घ संधि
  4. वृद्धि संधि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : गुण संधि

स्वर संधि Question 6 Detailed Solution

'महा + इंद्र' में 'गुण' स्वर संधि है। शेष विकल्प अनुपयुक्त हैं। अतः सही विकल्प 'गुण संधि' है। 

स्पष्टीकरण -

महा + इंद्र = महेंद्र (आ + इ = ए)

दीर्घ स्वर संधि - दो सवर्ण, ह्रस्व या दीर्घ, स्वरों के मेल होने पर दीर्घ स्वर बन जाता है, जैसे – शिव + आलय (अ + आ) = शिवालय, गिरि + इन्द्र (इ + इ) = गिरीन्द्र।

यण स्वर संधि -  इ, ई, उ, ऊ या ऋ का मेल यदि असमान स्वर से हो तो इ, ई का 'य'; उ, ऊ का 'व' और ऋ का 'र' हो जाता है, जैसे - यदि + अपि (इ + अ) = यद्यपि, अनु + एषण = अन्वेषण।

गुण स्वर संधि -  अ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर 'ए'; उ, ऊ का मेल होने पर 'ओ'; तथा ऋ का मेल होने पर 'अर्' हो जाता है, जैसे – देव + इन्द्र (अ + इ) = देवेन्द्र

वृद्धि स्वर संधि - अ, आ का मेल ए, ऐ के साथ होने पर 'ऐ' तथा ओ, औ के साथ होने पर 'औ' में परिवर्तित हो जाता है, जैसे – एक + एक (अ + ए) = एकैक, परम + ओजस्वी (अ + ओ) = परमौजस्वी।

अयादि स्वर संधि- यदि ए, ऐ, ओ, औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ए का अय, ऐ का आय, ओ का अव, औ का आव हो जाता है।  

स्वर संधि Question 7:

'अयादि संधि' से निर्मित शब्द नहीं है-

  1. प्रसाविका 
  2. नार्यागमन
  3. विधायक
  4. कवयित्री 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : नार्यागमन

स्वर संधि Question 7 Detailed Solution

'अयादि संधि' से निर्मित शब्द नही है- 'नार्यागमन'

  • नारी + आगमन = नार्यागमन (ई + आ = या) यण संधि का विकल्प है बाकि सभी अयादि संधि के विकल्प है इसलिए प्रश्न के अनुसार वो सब सही है।.
  • नदी + आगमन = नद्यागमन 

Key Points

  • प्रसौ + इक = प्रसाविका (औ + इ = आव)
  • कवे + इत्री = कवयित्री (ए + इ = अय
  • विधै + अक = विधायक (ऐ + अ = आय)

Important Pointsअयादि संधि:-

  • यदि ‘ए’, ‘ऐ’ अथवा ‘ओ’, ‘औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए, तो ‘ए’ का ‘अय्’, ‘ऐ’ का ‘आय्’, ‘ओ’ का ‘अव्’ और ‘औ’ का ‘आव’ हो जाता है।

उदाहरण-

  • विनै + अक = विनायक (ऐ + अ = आय)
  • रचे + इता = रचयिता (ए + अ = अय)
  • प्रभौ + इत = प्रभावित (औ + अ = आव)
  • को + इता = कविता (ओ + अ = अव
  • सहै + अक = सहायक ( + अ = आय)

यण संधि:-

  • जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है, तो ये क्रमश: य्, व्, र्, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं।

उदाहरण-

  • नदी + आमुख = नद्यामुख (ई + आ = या)
  • स्त्री + उपयोगी = स्त्र्युपयोगी (ई + उ = यु
  • अनु + ईषण = अन्वीक्षण (उ + ई = वी)
  • गुरु + औदार्य = गुर्वोदार्य (उ + औ = वौ)
  • पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा (ऋ + इ = रि
  • मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश (ऋ + उ = रु)

स्वर संधि Question 8:

वन + ओषधि संधि विच्छेदन किसका उदाहरण है?

  1. वृद्धि संधि का
  2. यण संधि का
  3. दीर्घ संधि का
  4. गुण संधि का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वृद्धि संधि का

स्वर संधि Question 8 Detailed Solution

वन + षधि में 'वृद्धि संधि' है। शेष विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं।

Key Points

  • 'वनौषधि' का संधि विच्छेद - वन+ओषधि होगा
  • नियम - अ + ओ = औ
  • इस नियमानुसार यहाँ वृद्धि संधि का प्रयोग हुआ है।
  • वृद्धि संधि - यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ' रहे तो 'ऐ' एवं 'ओ' और 'औ' रहे तो 'औ' बन जाता है। इसे वृध्दि स्वर सन्धि कहते हैं।

Additional Information

वृद्धि संधि:-

  • जब संधि करते समय जब (अ , आ) के साथ (ए , ऐ) हो तो ‘ऐ‘ बनता है और जब (अ , आ) के साथ (ओ , औ) हो तो ‘औ‘ बनता है। उसे वृद्धि संधि कहते हैं।

उदाहरण-

  • महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य (आ + ऐ = ऐ)
    महा + ओजस्वी = महौजस्वी (आ + ओ = औ)

यण संधि:-

  • जब संधि करते समय (इ, ई) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘य‘ बन जाता है, जब (उ, ऊ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘व‘ बन जाता है , जब (ऋ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘र‘ बन जाता है।

उदाहरण-

  • अधि + अयन = अध्ययन (इ + अ = य)
  • अनु + एषण = अन्वेषण (उ + ए = व)

गुण संधि:-

  • जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।

उदाहरण-​

  • नर + इंद्र = नरेन्द्र (अ + इ = ए)
  • ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ)
  • देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)

दीर्घ संधि:-

  • जब दो शब्दों की संधि करते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ई‘ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता है।

उदाहरण-​

  • परम + अर्थ = परमार्थ (अ + अ = आ)
  • कवि + ईश्वर = कवीश्वर (इ + ई = ई)
  • वधु + उत्सव = वधूत्सव (उ + उ = ऊ)

स्वर संधि Question 9:

निम्नलिखित में से दीर्घ स्वर सन्धि के उदाहरण का चयन कीजिये -

  1. पितृ + ऋण
  2. पर + उपकार
  3. अ + उ
  4. इ + आ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : पितृ + ऋण

स्वर संधि Question 9 Detailed Solution

सही विकल्प 1 "पितृ + ऋणहै। अतः अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। 

Key Points

संधि विच्छेद

संधि का नाम

पितृ + ऋण

पितृण

 

  • पितृ + ऋण=पितृण संधि, स्वर-संधि के भेद दीर्घ संधि का प्रकार हैं। 

अन्य विकल्प: 

  • परोपकार में "गुण स्वर संधि" संधि है। परोपकार का संधि विच्छेद "पर + उपकार" होता है।
  • अ + उ = ओ; में गुण संधि है।  
    • ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश
  • ई + आ = या परिवर्तन यण संधि में होता है। 

Additional Information

  • संधि - दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। 
  • जैसे - 
    • भानु + उदय = भानूदय।
    • सम् + तोष = संतोष।
    • देव + इंद्र = देवेंद्र ।
  • 1.स्वर सन्धि - दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं।
    • जैसे - विद्या + आलय = विद्यालय।
  • स्वर-संधि पाँच प्रकार की होती हैं -
  • दीर्घ संधि - अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं।
  • जैसे -
  • अ/आ + अ/आ = आ
    • अ + अ = आ → धर्म + अर्थ = धर्मार्थ 
    • अ + आ = आ → हिम + आलय = हिमालय 
    • अ + आ =आ → पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
  • इ और ई की संधि:-
    • इ + इ = ई → रवि + इंद्र = रवींद्र; मुनि + इंद्र = मुनींद्र
    • इ + ई = ई → गिरि + ईश = गिरीश; मुनि + ईश = मुनीश
    • ई + इ = ई → मही + इंद्र = महींद्र; नारी + इंदु = नारींदु
    • ई + ई = ई → नदी + ईश = नदीश; मही + ईश = महीश 
  • उ और ऊ की संधि:- 
    • उ + उ = ऊ → भानु + उदय = भानूदय; विधु + उदय = विधूदय
    • उ + ऊ = ऊ → लघु + ऊर्मि = लघूर्मि; सिधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
    • ऊ + उ = ऊ → वधू + उत्सव = वधूत्सव; वधू + उल्लेख = वधूल्लेख
    • ऊ + ऊ = ऊ → भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व; वधू + ऊर्जा = वधूर्जा

स्वर संधि Question 10:

'राजर्षि' के लिए सही संधि विच्छेद को चुनिए।

  1. राज + ऋषि
  2. राजा + ऋषि
  3. रज + ऋषि
  4. राज + अऋषि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : राज + ऋषि

स्वर संधि Question 10 Detailed Solution

'राजर्षि' के लिए सही संधि विच्छेद- राज + ऋषि।

Key Points

  • ‘राजर्षि’ शब्द का संधि विच्छेद है - राज + ऋषि।
  • इस संधि को बनाने का नियम : अ + ऋ = अर् l
  • राजर्षि में संधि का प्रकार - (गुण संधि) l

Additional Information

  • दो वर्णों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को संधि कहते हैं l
  • जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो 'ए' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो 'ओ' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो 'अर' बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
  • उदाहरण : महा + इंद्र = महेंद्र ।
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