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जवाहरलाल नेहरू: आधुनिक भारत के निर्माता और दूरदर्शी नेता
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पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके पास बहुत मजबूत आदर्श और सिद्धांत थे जो उनके जीवन और कार्य को निर्देशित करते थे।
नेहरू पर यह लेख यूपीएससी आईएएस परीक्षा और यूपीएससी इतिहास वैकल्पिक उम्मीदवारों के लिए उपयोगी होगा।
जवाहरलाल नेहरू के बारे में | About Jawaharlal Nehru in Hindi
जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूप रानी था।
- नेहरू एक अमीर और शिक्षित परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू, एक सफल बैरिस्टर और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे।
- नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही निजी शिक्षकों से प्राप्त की। 1905 में वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्हें भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित जैसे विज्ञान विषयों का अध्ययन करना पसंद था।
- जवाहरलाल नेहरू अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1912 में भारत लौट आए और अपने पिता की तरह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील के रूप में काम करने लगे।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जवाहरलाल नेहरू की भूमिका
जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गांधी जी के साथ मिलकर उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी दिलाई। वह इस बात पर अडिग थे कि भारत को ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ादी मिलनी चाहिए।
जवाहरलाल नेहरू का योगदान
नेहरू 1919 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। 1929 में गांधीजी ने उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया।
- गांधी और नेहरू के बीच गहरा रिश्ता बन गया और उन्होंने भारत के स्वराज के लिए मिलकर काम किया। नेहरू ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध और प्रदर्शन आयोजित किए।
- 1928 में नेहरू ने एक ऐतिहासिक भाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता अपरिहार्य है। उन्होंने अन्य भारतीयों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
- जब गांधी जी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया तो जवाहरलाल नेहरू ने इसका पूरा समर्थन किया। संघर्ष के दौरान वे कई बार जेल गए।
- जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हजारों युवाओं को भारत की स्वतंत्रता के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। युवा नेहरू को अपने आदर्श नेता के रूप में देखते थे।
- जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) करीब 10 साल तक जेल में रहे। जेल में रहते हुए उन्होंने अपनी बेटी इंदिरा को पत्र लिखे और अपनी मशहूर किताब 'द डिस्कवरी ऑफ इंडिया' भी लिखी।
- गांधीजी के बाद नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे प्रमुख नेता बन गये। भारतीयों ने उन्हें स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में देखा।
- नेहरू और गांधी के बीच मतभेद होने के बावजूद भी वे एक दूसरे के करीब रहे। भारत के स्वराज को हासिल करने के लिए उनकी साझेदारी अंत तक मजबूत रही।
जवाहरलाल नेहरू के विचार | Jawaharlal Nehru ke Vichar
जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता के पक्षधर थे। उन्होंने ब्रिटिशों के साथ किसी भी तरह के समझौते का विरोध किया, जैसे कि डोमिनियन स्टेटस।
- नेहरू समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के समर्थक थे। उनका सपना एक ऐसे भारत का था जो गरीबी, अशिक्षा और सांप्रदायिक विभाजन से मुक्त हो।
- नेहरू ने भारत में विज्ञान और तर्कसंगत सोच के प्रसार को प्रोत्साहित किया। उनका मानना था कि इससे आधुनिक भारत के निर्माण में मदद मिलेगी।
- जवाहरलाल नेहरू ने 'पूर्ण स्वराज' या भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता का नारा लोकप्रिय बनाया। उन्होंने अपने भाषणों के माध्यम से भारतीयों के बीच इस संदेश को फैलाया।
नेहरू और भारत छोड़ो आंदोलन
1942 में जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया तो नेहरू जी ने इसका पूरा समर्थन किया। उन्होंने भारतीयों को पूर्ण स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने वाले शक्तिशाली भाषण दिए।
- 8 अगस्त 1942 को नेहरू ने बम्बई में एक ऐतिहासिक भाषण दिया।
- नेहरू को फिर से अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और 1945 तक जेल में रहे। जेल से भी नेहरू ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और भारत छोड़ो का संदेश फैलाया।
- भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली। तब तक नेहरू भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक बन चुके थे और स्वतंत्र भारत के अपरिहार्य पहले प्रधानमंत्री थे। उनके विचारों ने आधुनिक भारत की लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष नींव को आकार दिया।
जवाहरलाल नेहरू और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने भारत की स्वतंत्रता लड़ाई के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- 1919 में 37 साल की उम्र में नेहरू कांग्रेस में शामिल हुए। उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और भी ज़्यादा शक्तिशाली होती जा रही थी। नेहरू जल्द ही कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बन गए।
- नेहरू ने गांधी की अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध की रणनीति का समर्थन किया। उन्होंने कई प्रदर्शनों और अभियानों में हिस्सा लिया और कई बार अंग्रेजों द्वारा जेल भी गए। नेहरू गांधी के सबसे करीबी सहायक बन गए।
- 1929 में नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने। अध्यक्ष के रूप में नेहरू ने गांधी के शांति और ब्रिटिश शासन से मुक्ति के संदेश को फैलाने के लिए पूरे भारत की यात्रा की। उन्होंने कई लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए राजी किया।
- राष्ट्रपति के रूप में नेहरू ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मतभेदों को कम करने की कोशिश की। वह चाहते थे कि दोनों समूह आंदोलन में एकजुट हों। लेकिन धार्मिक तनाव बढ़ता रहा।
- 1946 में नेहरू पुनः कांग्रेस अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की और अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के दौरान नेहरू समेत कई नेताओं को जेल जाना पड़ा।
- 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। लेकिन वे कांग्रेस में सक्रिय रहे।
- प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू ने कांग्रेस को मजबूत करने और उसे प्रमुख राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए काम किया। उन्होंने पार्टी की बैठकों के लिए पूरे भारत की यात्रा की।
- नेहरू ने कांग्रेस के ज़रिए "धर्मनिरपेक्ष भारत" का विचार फैलाया। उन्होंने कहा कि भारत को सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार देने चाहिए। धर्मनिरपेक्षता का यह विचार संविधान के मुख्य सिद्धांतों में से एक बन गया।
- प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता के रूप में नेहरू ने भारत में गरीबी खत्म करने और एक आधुनिक राष्ट्र बनाने के लिए काम किया। उन्होंने भारत में उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
- 1964 में नेहरू की मृत्यु कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका थी। नेहरू के बाद, कांग्रेस को कई दशकों तक पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कोई दूसरा करिश्माई नेता नहीं मिला।
- नेहरू ने कांग्रेस में एक करिश्माई नेता, प्रभावी संगठनकर्ता और मुख्य रणनीतिकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कांग्रेस को मजबूत किया और भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसे प्रमुख राजनीतिक पार्टी बनाया। नेहरू ने कांग्रेस के माध्यम से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी आदर्शों का प्रसार किया, जो भारतीय संविधान और नीतियों का आधार बने।
जवाहरलाल नेहरू का दर्शन
अब हम नेहरू के जीवन दर्शन और शासन दर्शन के मुख्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता
नेहरू लोकतंत्र में दृढ़ विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सभी नागरिकों को अपना पूर्ण विकास करने के लिए समान अधिकार और स्वतंत्रता देता है।
- नेहरू ने भारत को एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की, जहां सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार और सम्मान मिले।
- उनका मानना था कि धर्म एक निजी मामला है और राज्य को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय लोग कई धर्मों का पालन करते हैं और सरकार को सभी धर्मों से समान दूरी बनाए रखनी चाहिए। धर्मनिरपेक्षता का यह विचार भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया।
समाजवाद
नेहरू की आर्थिक विचारधारा समाजवाद थी। वह चाहते थे कि सरकार प्रमुख उद्योगों और सेवाओं पर नियंत्रण रखे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभ सभी लोगों तक समान रूप से पहुँचे।
- नेहरू ने बैंक, बीमा, एयरलाइंस आदि जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से संबंधित कई निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया। उन्होंने इस्पात, खनन, ऊर्जा, परिवहन आदि जैसे प्रमुख उद्योगों में कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी शुरू कीं।
- पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से नेहरू ने आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए भारी उद्योगों, बांधों और सिंचाई सुविधाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
अहिंस
नेहरू महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का गहरा सम्मान करते थे।
- उन्होंने कहा कि अहिंसा सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति नहीं बल्कि जीवन जीने का एक आदर्श तरीका है।
- नेहरू का मानना था कि हिंसा का सामना क्षमा और सद्भावना की भावना से करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा अक्सर और अधिक हिंसा और घृणा को जन्म देती है।
धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद
नेहरू का दर्शन धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद से प्रेरित था।
- उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तर्कसंगत सोच और प्रेम, करुणा एवं मानवता की सेवा जैसे मानवतावादी मूल्यों के महत्व पर जोर दिया।
- नेहरू का मानना था कि धार्मिक हठधर्मिता की तुलना में मानवीय मूल्य अधिक महत्वपूर्ण हैं। वह मानवीय समानता, तर्क और सार्वभौमिक भाईचारे पर आधारित भारत का निर्माण करना चाहते थे।
अनेकता में एकता
भारतीय उपमहाद्वीप में भाषा, संस्कृति, धर्म और जातीयता की दृष्टि से काफी विविधता है।
- नेहरू ने कहा था कि यदि हम सभी समूहों के बीच एकता और आपसी सम्मान को बढ़ावा दें तो हमारी विविधता हमारी ताकत बन सकती है।
- वह एक ऐसी भारतीय पहचान बनाना चाहते थे जो धार्मिक और क्षेत्रीय पहचानों से परे हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मूल रूप से भारतीयों की नियति और प्रगति तथा स्वतंत्रता के लक्ष्य एक ही हैं।
शिक्षा और विज्ञान
नेहरू शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के लिए सबसे शक्तिशाली साधन मानते थे।
- उन्होंने भारत में शैक्षणिक संस्थानों के विस्तार और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया।
- नेहरू को विज्ञान और तर्क पर बहुत भरोसा था। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच लोगों को अंधविश्वास और रूढ़िवादिता से छुटकारा दिलाने में मदद करेगी।
- उन्होंने कई वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान स्थापित किये और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा में भारी निवेश किया।
परीक्षा में सफलता के लिए प्रश्न
प्रश्न 1. जवाहरलाल नेहरू कौन थे?
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। नेहरू ने 1947 से 1964 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की। नेहरू को भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता था। वे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उन्होंने पूरे देश में युवाओं और बुद्धिजीवियों को आंदोलन के मूल में खींचा। भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे, लेकिन कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े होने के कारण उन्हें पंडित नेहरू के नाम से भी जाना जाता था। कई लोग जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं।
प्रश्न 2. जवाहरलाल नेहरू का देश हित में क्या योगदान था?
नेहरू एक कुशल कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने कई देशों की यात्रा की, जहाँ समान लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन चल रहे थे, यहाँ तक कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में भी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने राष्ट्रीय हित में रियासतों के नागरिकों को एकजुट करने के महत्व को पहचाना। 1923 में, उन्हें कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया। जब 1929 में पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई, तो वे लाहौर अधिवेशन के दौरान पार्टी के अध्यक्ष थे। 1946 में, उन्होंने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया।
प्रश्न 3.जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री कैसे बने?
15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होने के दिन नेहरू को भारत गणराज्य का पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलावों का कार्यक्रम शुरू किया। भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने 1947 में भारत के स्वतंत्र होने पर सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा। फिर भी, गांधीजी ने पटेल से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए कहा, जो उन्होंने किया, गांधीजी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री के लिए नामित किया।
प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कैसे हुई?
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का 27 मई 1964 को दोपहर में दिल का दौरा पड़ने से 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। 26 मई 1964 को देहरादून से वापस आने के बाद उन्हें आराम महसूस हुआ और वे सामान्य रूप से लगभग 11 बजे बिस्तर पर चले गए। सुबह लगभग 6 बजे शौचालय से लौटने के बाद नेहरू ने पीठ में तकलीफ की शिकायत की। मेडिकल स्टाफ से थोड़ी देर की बातचीत के बाद नेहरू लगभग तुरंत बेहोश हो गए। वे अपनी मृत्यु के समय पूरी तरह से बेहोश थे। 17 साल तक सत्ता में रहने के बाद वे देश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री थे।
निष्कर्ष
नेहरू के दर्शन में लोकतंत्र , धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, अहिंसा, मानवतावाद, विविधता में एकता और शिक्षा और विज्ञान के महत्व के सिद्धांतों पर जोर दिया गया। उनके आदर्शों और सिद्धांतों ने शुरुआती दशकों में स्वतंत्र भारत के शासन को आकार दिया और भारतीय संविधान के निर्माण को प्रभावित किया।
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जवाहरलाल नेहरू यूपीएससी FAQs
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेहरू की क्या भूमिका थी?
कमला की मृत्यु के बाद नेहरू भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत समर्पित हो गए। उन्होंने गांधी के साथ मिलकर काम किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ आंदोलनों में भाग लिया।
जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ था?
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, भारत में हुआ था।
नेहरू ने क्या अध्ययन किया था?
नेहरू 1905 में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए थे। उन्हें भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित जैसे विषयों का अध्ययन करना पसंद था।
नेहरू की पत्नी कौन थी?
नेहरू ने 1916 में कमला कौल से विवाह किया। उनके दो बच्चे हुए - बेटी इंदिरा और बेटा फिरोज।
नेहरू की पत्नी का निधन कब हुआ?
दुर्भाग्यवश, कमला का स्वास्थ्य खराब होता गया और 1928 में 34 वर्ष की अल्पायु में तपेदिक से उनकी मृत्यु हो गई। नेहरू बहुत दुखी हुए।